देश की कोई भी समस्या हो तो उसका समाधान नहीं कर सकते। यहाँ तक की अगर मुद्दा देश की भलाई का हो या फिर किसी आतंकवादी को फासी का।
फिर जब खाप पंचायत के नाम पर दो प्यार करने वालो का कत्ले आम हो रहा है और आदेश जरी हो रहे हैं सरे आम क़त्ल के। तो कहाँ हैं वो मानव अधिकार वाले।
धिक्कार है मानव अधिकार की दुहाई देने वालो। शर्म करो अपने दिखावे पर।
Wednesday, May 12, 2010
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