Monday, September 8, 2008

राज ठाकरे और गिलानी.

इसे देश का दुर्भाग्य ही कह्नेगे की जहाँ एक ओर गिलानी जी घाटी में पाकिस्तान का राग अलाप रहे हैं वहीँ दूसरी ओर राज ठाकरे मराठी मानुष का नाटक। सत्ता का लालच इन्सान को कितना गिरा सकता है ये दोनों इसके उदाहरण हैं।

मुझे समझ नही आता की हमारी सरकार और देश के माननीय नेता लोग मौन क्यों हैं। क्या हर जगह अब कश्मीर की तरह लोगो को सड़क पर आना पड़ेगा??

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