एक तरफ़ तो हमारे देश में सरकारी नौकरी के लिए घूस ली जाती है फ़िर उमर की सीमा भी तय की जाती है। मानता हूँ की जब इंसान काम नही कर सकता तो नौकरी छोड़ देनी चाहिए लेकिन ये उमर सीमा सिर्फ आम जनता के लिए ही क्यों।
हमारे माननीय नेता लोग की उमर सीमा क्यों नही होती। नेता लोग क्यों नही सन्यास ले लेते हैं, जब उनकी उमर हो जाती है।
सम्मान करता हूँ की उन्होंने देश के लिए काम किया लेकिन जब और लोगो के लिए उमर सीमा है तो नेता लोगो के लिए क्यों नही। क्या आम जनता का जिन्दगी भर काम करने और नेता लोगो का काम करने में कोई अन्तर हैं?
Friday, August 29, 2008
Sunday, August 24, 2008
उत्तर प्रदेश का बज़ट!!
आप भी चौक जायेगे ये न्यूज़ पढकर! उत्तर प्रदेश सरकार का २००८-०९ का बज़ट सीधे दर्शाता है कि पैसा कैसे बनाया जाता है। ३२ करोड़ रूपये मंत्री आवास के देखभाल और साजसज्जा के लिए। १२० करोड़ अंबेडकर स्मारक को ठीक करने के लिए। १०० करोड़ और कामो के लिए जो स्मारक के आस पास किए जायेंगे। ये सिर्फ़ एक उदाहरण है। ऐसे और ना जाने कितनी चीजे बज़ट में है।
हमारे और आपके पास समय ही नही है की हम देखे की बज़ट में क्या पास हो रहा है, और क्यों। जनता तो दो व्क्हत की रोटी कमाने में परेशान है। इसलिए कम से कम वोट देते समय सोंच के वोट दे।
१२० करोड़ से स्कूल खोल देते और १०० करोड़ को स्कूल चलाने में । तो कम से कम सबको पड़ने का मौका मिल जाता। स्मारक तो अगले साल भी बन सकता है।
हमारे और आपके पास समय ही नही है की हम देखे की बज़ट में क्या पास हो रहा है, और क्यों। जनता तो दो व्क्हत की रोटी कमाने में परेशान है। इसलिए कम से कम वोट देते समय सोंच के वोट दे।
१२० करोड़ से स्कूल खोल देते और १०० करोड़ को स्कूल चलाने में । तो कम से कम सबको पड़ने का मौका मिल जाता। स्मारक तो अगले साल भी बन सकता है।
Friday, August 22, 2008
अमरनाथ, देश और हमारी सरकार.
धीरे धीरे, जैसे की मोह भंग होता जा रहा है। आज अपने ही देश में थोडी सी ज़मीन नसीब नही है लोगो के लिए। अगर यही जमीन वहां पर मन्दिर बनाने के लिए मांगी होती, फ़िर क्या होता।
सिर्फ़ लोगो को तकलीफ ना हो इसलिए वहां पर सुविधायें देने के लिए ज़मीन देने में इतनी दिक्कत। धिक्कार है, ऐसे सरकार पर। और हमारे माननीय गृहमंत्री जी कह रहे हैं की वो नजर रखे हैं। जल्दी ही समस्या का समाधान हो जाएगा। ६० दिन हो गए, बच्चा बच्चा सडको पर आ गया, और मंत्री जी सिर्फ़ नजर रखे हुए हैं। किस पर नजर रखें है, ये तो वे ही जाने, और उनका ईमान।
दुःख होता है देश की ये हालत देख कर।
सिर्फ़ लोगो को तकलीफ ना हो इसलिए वहां पर सुविधायें देने के लिए ज़मीन देने में इतनी दिक्कत। धिक्कार है, ऐसे सरकार पर। और हमारे माननीय गृहमंत्री जी कह रहे हैं की वो नजर रखे हैं। जल्दी ही समस्या का समाधान हो जाएगा। ६० दिन हो गए, बच्चा बच्चा सडको पर आ गया, और मंत्री जी सिर्फ़ नजर रखे हुए हैं। किस पर नजर रखें है, ये तो वे ही जाने, और उनका ईमान।
दुःख होता है देश की ये हालत देख कर।
करोडो की आबादी और तीन मैडल!!
करोडो की आबादी, और सिर्फ़ तीन मैडल !!
फ़िर भी हम खुश हैं की चालो कुछ तो मिल गया। जैसे की शायेद ये भी मिलना मुश्किल था। जिसने मैडल जीता उसके लिए तो कम लोग बेजिंग गए थे, उससे कहीं जायदा मैनेज़र गए हैं जी हाँ घुमने के लिए। ओलम्पिक टीम के नाम पर भी कमाँई हो गई। काश लोग ईमानदारी से अपना फ़र्ज़ निभाए तो शायेद कुछ ज्यादा मैडल मिले।
मैं भी खुश हूँ, लेकिन जिसने मैडल जीता सिर्फ़ उसके लिए।
फ़िर भी हम खुश हैं की चालो कुछ तो मिल गया। जैसे की शायेद ये भी मिलना मुश्किल था। जिसने मैडल जीता उसके लिए तो कम लोग बेजिंग गए थे, उससे कहीं जायदा मैनेज़र गए हैं जी हाँ घुमने के लिए। ओलम्पिक टीम के नाम पर भी कमाँई हो गई। काश लोग ईमानदारी से अपना फ़र्ज़ निभाए तो शायेद कुछ ज्यादा मैडल मिले।
मैं भी खुश हूँ, लेकिन जिसने मैडल जीता सिर्फ़ उसके लिए।
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