एक तरफ़ तो हमारे देश में सरकारी नौकरी के लिए घूस ली जाती है फ़िर उमर की सीमा भी तय की जाती है। मानता हूँ की जब इंसान काम नही कर सकता तो नौकरी छोड़ देनी चाहिए लेकिन ये उमर सीमा सिर्फ आम जनता के लिए ही क्यों।
हमारे माननीय नेता लोग की उमर सीमा क्यों नही होती। नेता लोग क्यों नही सन्यास ले लेते हैं, जब उनकी उमर हो जाती है।
सम्मान करता हूँ की उन्होंने देश के लिए काम किया लेकिन जब और लोगो के लिए उमर सीमा है तो नेता लोगो के लिए क्यों नही। क्या आम जनता का जिन्दगी भर काम करने और नेता लोगो का काम करने में कोई अन्तर हैं?
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