Wednesday, November 5, 2008

ओबामा की जीत

बराक ओबामा एक ऐसी शख्सियत जिसने अमेरिका के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा। ओबामा ने इलिनोइस के शिकागो शहर में अपने समर्थकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इसे साकार होने में एक लंबा समय लगा, लेकिन आज रात हमने आज जो किया है इस चुनाव में इस क्षण अमेरिका में बदलाव हो चुका है।

ओबामा ने अपने विजय भाषण में लोगों से कहा कि वे सेवा और जिम्मेदारी भरी देशभक्ति की भावना पैदा करें जहां हर व्यक्ति न केवल सिर्फ अपने आपका ध्यान रखे, बल्कि एक-दूसरे का ध्यान रखते हुए कठिन परिश्रम करने का वायदा करे।

हमने अपने आँखों से देखा और ख़ुद भी महसूस किया है ओबामा की जीत को।

Thursday, October 23, 2008

ट्रेन में मराठी छात्राओं से छेड़छाड़, पथराव

इटावा। मुंबई में राज ठाकरे द्वारा लगाई गई आग की लपटों से उत्तर भारतीय लोग भी झुलसने लगे है। गुरुवार को अप ओखा एक्सप्रेस में यात्रा कर रही मराठी छात्राओं को देख छात्रों का गुस्सा भड़क गया।भरथना-अछल्दा स्टेशन के मध्य छात्रों ने छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की तथा विरोध करने पर पत्थर भी चलाए। इस दौरान यात्रा कर रहे एक सिपाही की भी छात्रों ने पिटाई कर दी और भरथना स्टेशन पर उतर गए।

मैं आप सभी लोगो से प्राथना करता हूँ कि आम लोगो को परेशान ना करें। गुस्सा है तो सिर्फ़ राज ठाकरे के उपर निकाले। क्योंकि उसने जो भी नाटक किया, उसकी सजा हमारे और आपके जैसे साधारण जनता को क्यों मिले। अपने देश कि संपत्ति का नुकसान न करे। क्यों कि इससे देश का ही नुकसान है राज ठाकरे का नही।

Sunday, October 19, 2008

रेलवे की परीक्षा देने मुंबई गए उत्तर भारतीयों की पिटाई

हद कर दी आपने !!
रेलवे भर्ती बोर्ड की प्रवेश परीक्षा देने मुंबई पहुंचे बिहार और उत्तर प्रदेश के छात्रों को शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने कई इलाकों में घेर-घेर कर मारा। कार्यकर्ताओं ने परीक्षा केंद्रों में घुसकर भी छात्रों की पिटाई और उन्हें वहां से भगा दिया।

देश को विभाजित करने के षडयंत्र के तहत राज ठाकरे को जेल में बंद कर देना चाहिए।

Saturday, October 18, 2008

माया ने रेल फैक्टरी की जमीन लौटाई.

माया की माया अपरम पार। कभी दलितों की मसीहा तो कभी किसानो की रक्षक। मगर सारे काम देश की प्रगति के खिलाफ। कभी तो आंबेडकर पार्क बनाने की धुन तो कभी आंबेडकर मूर्ति लगवाने की। और खर्चा करोड़ो में।
अच्छी बात है की आप देश का विकास करना चाहती है, मगर कम से कम जो शहर नरक बनते जा रहें हैं वहां पर भी थोड़ा ध्यान दे। मूर्ति और पार्क बनवाने की जगह स्कूल और विद्यालय खोले।
दलितों की मसीहा बने, आप मगर लोगो को आपस में लड़वाए तो ना। किसानो की रक्षक बने, लेकिन देश की प्रगति के खिलाफ जाकर नही। ऐसे समय में दिमाग से काम ले और ऐसा रास्ता निकले जिससे गरीब किसान को नुक्सान न हो, लेकिन देश भी प्रगति करे।

Friday, October 17, 2008

काँच की बरनी और दो कप चाय

दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं...उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी (जार) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ... आवाज आई...फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे-छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये, धीरे-धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये, फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्या अब बरनी भर गई है, छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ.. कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले-हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया, वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई, अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ.. अब तो पूरी भर गई है.. सभी ने एक स्वर में कहा..सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली, चाय भी रेत के बीच में स्थित थोडी़ सी जगह में सोख ली गई...प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया - इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो... टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान, परिवार, बच्चे, मित्र, स्वास्थ्य और शौक हैं, छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी, कार, बडा़ मकान आदि हैं, और रेत का मतलब और भी छोटी-छोटी बेकार सी बातें, मनमुटाव, झगडे़ है..अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती, या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते, रेत जरूर सकती थी...ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है...यदि तुम छोटी-छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा... मन के सुख के लिये क्या जरूरी ? ये तुम्हें तय करना है अपने बच्चों के साथ खेलो, बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ, घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको, मेडिकल चेक- अप करवाओ॥

टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो
, वही महत्वपूर्ण है... पहले तय करो कि क्या जरूरी है... बाकी सब तो रेत है..छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे.. अचानक एक ने पूछा, सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि 'चाय के दो कप' क्या हैं ?प्रोफ़ेसर मुस्कुराये, बोले.. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया... इसका उत्तर यह है कि, जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे, लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये

Sunday, October 12, 2008

मूर्तियों का विसर्जन.

हम गंगा मैया में मूर्तियों का विसर्जन कर उसमें घातक रसायन घोल रहे हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस से भी मोक्षदायिनी 'जैविकता' पर आंच आ जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे हमारी आस्था भी बनी रहे और नदी की शुचिता भी?

मेरे ख्याल से हम लोगो को मूर्तियाँ लेते समय ये सुनिश्चित करना चाहिए की वो सिर्फ़ मिटटी से ही बनी हो। या फ़िर स्पेशल आर्डर दे कर बनवायें। ऐसा करने से नदी भी साफ़ रहेगी और हमारी आस्था भी बनी रहेगी।
जरूरत है हम लोगो को जागरूक होने की।

Thursday, October 9, 2008

राज ठाकरे - क्या कर रहे हो?

सभी लोग देश में चुप हैं। और राज ठाकरे साहेब को जो भी मन में आता है बोलते हैं। मुझे तो ऐसा लगता है की वो देश में आतंक फैला रहे हैं। कम से कम महाराष्ट्र में तो कर ही रहे हैं। लोगो को आपस में लड़ा कर वोट लेना। किस स्तर की राजनीति है ये?

छेत्रवाद, जातिवाद - देश के लिए ठीक नही है। काश लोगो को ये बात समझ में आए और उनको अगले चुनाव में इसका जवाब दे।

Friday, October 3, 2008

पाटिल जी - सोच के बोलें.

किसी ने सच ही कहा है की जिनके घर कांच के हो वो पत्थरो से नही खेला करते!!
पाटिल जी से दिल्ली तो संभल नही रही है। और रोना चालू है की उडीसा में चर्च को जलाया जा रहा है हम दोषियों को सजा देंगे। अरे भाई जिनको जेल में बंद करके रक्खा है इतने दिनों से उनको कब सजा दोगे।
लगता है माननीय गृह मंत्री सिर्फ़ अपने गृह के अन्दर रहते हैं। इनको भी अवकाश मुक्त हों जाना चाहिए।

भगवन अर्जुन सिंह की आत्मा को शान्ति दे.

लगता है की उमर के साथ दिमाग कमजोर हो गया है श्रीमान अर्जुन सिंह जी का। जब भी बात करते हैं तो उनकी बात बिना सर पैर की होती है। अब नया मुद्दा - शोध और रिसर्च में रिज़र्वेशन।
अरे मेरे भाई कोई जगह तो जाने दो। कम से कम देश कहाँ जाएगा ये तो सोचो। विश्व में तगडी पर्तिस्पर्धा है। और माननीय महोदय को क्या बोलें। ख़ुद भी उनको समझ नही आता की अब उनको अवकाश मुक्त हो जाना चाहिए।
हम कुछ बोलेंगे, तो लोग बोलेंगे की बोलता है।

Sunday, September 28, 2008

दिल्ली में इससे पहले हुए आतंकी हमले

किसको दोष दे? दिल्ली में इससे पहले हुए आतंकी हमले -
13 सितंबर, 2008 : करोलबाग, कनॉट प्लेस, ग्रेटर कैलाश में हुए बम धमाकों में 24 लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हो गए।
29 अक्टूबर, 2005 : सरोजिनी नगर/पहाड़गंज/गोविंदपुरी में हुए धमाकों में 59 लोगों की जान गई व 155 घायल हुए।
13 दिसंबर, 2001 : संसद पर हुए हमले में 11 लोग मारे गए और 30 घायल हो गए।
18 जून, 2000 : लाल किले पर हुए हमले में 2 लोग मारे गए।
16 अप्रैल, 1999 : होलंबीकलां रेलवे स्टेशन पर हुए धमाके में 2 लोग मारे गए।
26 जुलाई, 1998 : अंतरराज्यीय बस अड्डे पर हुए विस्फोट में 2 लोगों की मौत, 3 घायल।
30 दिसंबर, 1997 : पंजाबी बाग में हुए विस्फोट में 4 लोग मारे गए तथा 30 घायल।
30 नवंबर, 1997 : चांदनी चौक में हुए धमाके में 3 लोग मारे गए और 73 घायल हो गए।
1 अक्टूबर, 1997 : फ्रंटियर मेल में हुए धमाके में 3 लोग मारे गए।

१० सालो में इतना आतंक, समझ नही आता की किसको दोष दे?

Saturday, September 27, 2008

बिग बॉस - संभावना सेठ.

ये है बिग बॉस का घर, ये है बिग बॉस का घर।
देखी सारी दुनिया, इंडिया से लेकर अमेरिका। मगर ऐसी महान लड़की नही देखी। बात बात पर गाली-गलोज। पार्टी है, तो अश्लीलता का प्रदर्शन। सम्भावना जी इतनी गली देती है, की शिल्पा को भी उन्हें बीपाशा कह कर बुलाना पड़ा। क्यों की जब भी वो गली देती है, शो वाले बीप बीप कर देते हैं।
समझ नही आता की ऐसे लोग के परेंट्स, कैसे अपने बच्चो को पालते हैं। क्या कुछ भी नही सिखाया। कैसे समाज में पल कर बड़े हुए हैं ये लोग। और आने वाले जेनरेशन को क्या देंगे ये।
आज के समाज के बिगड़ते हालत की जिम्मेदारी किसकी है?

बिग बॉस - एक रियलिटी शो??

कुछ दिन पहले ही मुझे इस रियलिटी शो के बारे में पता चला। शुरू में देखा तो काफी दिलचस्प और मजाकिया लगा। लेकिन धीरे धीरे सच्चाई नजर आने लगी। एक और नाटक देश को बरबाद करने के लिए। खुले आम अश्लीलता और ग़लत शब्दों का प्रयोग।
कम से कम एक बार तो सोचना चाहिए की छोटे बच्चे देख्नेगे तो क्या सीखेंगे। शर्म नाम की चीज ही नही रह गई है। और हमारे महान सेंसर बोर्ड। उनको तो कुछ भी कहना बेकार है। जरूरत है हम सब लोगो को मिलकर आवाज उठाने की। ऐसे रियलिटी शो को तो बंद कर देना चाहिए।

Thursday, September 25, 2008

धन्यवाद!!

आप सभी लोगो को बहुत बहुत धन्यवाद। अच्छा लगा जानकर की आप लोगो को मेरा लेख अच्छा लगा। वैसे तो मै रोज नही लिख पाता हूँ, लेकिन कभी कभी समय चुरा लेता हूँ अपने विचारो को आप सभी लोगो के साथ बाटने के लिए।
अभी मैंने कमेंट्स वेरिफिकेशन हटा दिया है शास्त्री जी के सुझाव के अनुसार। मगर अभी भी मुझे ये खोजना है की आप लोगो के कमेंट्स का उत्तर कैसे दूँ। अगर किसी को मालूम है तो कृपया मुझे बता दें।

धन्यवाद।
आशीष।

Friday, September 19, 2008

रामदेव, आज की जरूरत.

साधू सन्यासी तो बहुत हैं अपने देश में, मगर कोई भी वो नही कर सका जो बाबा रामदेव जी कर रहे हैं। और ये देख कर अच्छा लग रहा है की चलो कोई तो है जो देश को सही दिशा दिखाने की कोशिश कर रहा है।
पहले योग, उसके बाद अमरनाथ मुद्दा और अब गंगा सफाई अभियान। धीरे धीरे लोगो की सही दिशा दिखने की अनोखी पहल।

उम्मीद करता हूँ की सभी लोगो का उनको समर्थन मिलेगा और देश एक नई दिशा में कदम रखेगा।
जय हिंद!!

Saturday, September 13, 2008

दिल्ली फ़िर दहली.

पाटिल जी को क्या कहें, जब भी कुछ हो जाता है तो सिर्फ़ वो यही कहते है की हम नजर रखें हैं और दोषी लोगो को कड़ी से कड़ी सजा देंगे। अफजल गुरु जो जेल में बंद है उसको तो आज तक सजा नही दे पा रहे हैं।

बार बार देश को धमाको से दहलाने की साजिश कामयाब हो रही है। अब और नही । या तो सरकार कड़े नियम बनाये, और दोषी लोगो को तुंरत सजा दे, या फ़िर अगले चुनाव में हारने को तयार रहे।

Monday, September 8, 2008

राज ठाकरे और गिलानी.

इसे देश का दुर्भाग्य ही कह्नेगे की जहाँ एक ओर गिलानी जी घाटी में पाकिस्तान का राग अलाप रहे हैं वहीँ दूसरी ओर राज ठाकरे मराठी मानुष का नाटक। सत्ता का लालच इन्सान को कितना गिरा सकता है ये दोनों इसके उदाहरण हैं।

मुझे समझ नही आता की हमारी सरकार और देश के माननीय नेता लोग मौन क्यों हैं। क्या हर जगह अब कश्मीर की तरह लोगो को सड़क पर आना पड़ेगा??

Friday, August 29, 2008

सरकारी नौकरी और उमर के दोहरे मानदंड

एक तरफ़ तो हमारे देश में सरकारी नौकरी के लिए घूस ली जाती है फ़िर उमर की सीमा भी तय की जाती है। मानता हूँ की जब इंसान काम नही कर सकता तो नौकरी छोड़ देनी चाहिए लेकिन ये उमर सीमा सिर्फ आम जनता के लिए ही क्यों।
हमारे माननीय नेता लोग की उमर सीमा क्यों नही होती। नेता लोग क्यों नही सन्यास ले लेते हैं, जब उनकी उमर हो जाती है।
सम्मान करता हूँ की उन्होंने देश के लिए काम किया लेकिन जब और लोगो के लिए उमर सीमा है तो नेता लोगो के लिए क्यों नही। क्या आम जनता का जिन्दगी भर काम करने और नेता लोगो का काम करने में कोई अन्तर हैं?

Sunday, August 24, 2008

उत्तर प्रदेश का बज़ट!!

आप भी चौक जायेगे ये न्यूज़ पढकर! उत्तर प्रदेश सरकार का २००८-०९ का बज़ट सीधे दर्शाता है कि पैसा कैसे बनाया जाता है। ३२ करोड़ रूपये मंत्री आवास के देखभाल और साजसज्जा के लिए। १२० करोड़ अंबेडकर स्मारक को ठीक करने के लिए। १०० करोड़ और कामो के लिए जो स्मारक के आस पास किए जायेंगे। ये सिर्फ़ एक उदाहरण है। ऐसे और ना जाने कितनी चीजे बज़ट में है।

हमारे और आपके पास समय ही नही है की हम देखे की बज़ट में क्या पास हो रहा है, और क्यों। जनता तो दो व्क्हत की रोटी कमाने में परेशान है। इसलिए कम से कम वोट देते समय सोंच के वोट दे।

१२० करोड़ से स्कूल खोल देते और १०० करोड़ को स्कूल चलाने में । तो कम से कम सबको पड़ने का मौका मिल जाता। स्मारक तो अगले साल भी बन सकता है।

Friday, August 22, 2008

अमरनाथ, देश और हमारी सरकार.

धीरे धीरे, जैसे की मोह भंग होता जा रहा है। आज अपने ही देश में थोडी सी ज़मीन नसीब नही है लोगो के लिए। अगर यही जमीन वहां पर मन्दिर बनाने के लिए मांगी होती, फ़िर क्या होता।
सिर्फ़ लोगो को तकलीफ ना हो इसलिए वहां पर सुविधायें देने के लिए ज़मीन देने में इतनी दिक्कत। धिक्कार है, ऐसे सरकार पर। और हमारे माननीय गृहमंत्री जी कह रहे हैं की वो नजर रखे हैं। जल्दी ही समस्या का समाधान हो जाएगा। ६० दिन हो गए, बच्चा बच्चा सडको पर आ गया, और मंत्री जी सिर्फ़ नजर रखे हुए हैं। किस पर नजर रखें है, ये तो वे ही जाने, और उनका ईमान।

दुःख होता है देश की ये हालत देख कर।

करोडो की आबादी और तीन मैडल!!

करोडो की आबादी, और सिर्फ़ तीन मैडल !!
फ़िर भी हम खुश हैं की चालो कुछ तो मिल गया। जैसे की शायेद ये भी मिलना मुश्किल था। जिसने मैडल जीता उसके लिए तो कम लोग बेजिंग गए थे, उससे कहीं जायदा मैनेज़र गए हैं जी हाँ घुमने के लिए। ओलम्पिक टीम के नाम पर भी कमाँई हो गई। काश लोग ईमानदारी से अपना फ़र्ज़ निभाए तो शायेद कुछ ज्यादा मैडल मिले।

मैं भी खुश हूँ, लेकिन जिसने मैडल जीता सिर्फ़ उसके लिए।