देश की कोई भी समस्या हो तो उसका समाधान नहीं कर सकते। यहाँ तक की अगर मुद्दा देश की भलाई का हो या फिर किसी आतंकवादी को फासी का।
फिर जब खाप पंचायत के नाम पर दो प्यार करने वालो का कत्ले आम हो रहा है और आदेश जरी हो रहे हैं सरे आम क़त्ल के। तो कहाँ हैं वो मानव अधिकार वाले।
धिक्कार है मानव अधिकार की दुहाई देने वालो। शर्म करो अपने दिखावे पर।
Wednesday, May 12, 2010
Friday, April 16, 2010
मीडिया का सानिया प्रेम...
सनसनी सानिया कुछ भी करे मीडिया को छापना ही है। उसी शहर में जहाँ हजारो लोग गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे हैं। हमारी मीडिया को वो नहीं दीखता सिवाय सानिया मिर्ज़ा के।
ठीक है स्टार है वो, लेकिन ऐसा भी क्या की सारे न्यूज़ पेपर में सिर्फ एक ही खबर सानिया सानिया..... उसको अपनी जिन्दगी जीने दो और जो जरूरी काम है वो भी तो करो...
ठीक है स्टार है वो, लेकिन ऐसा भी क्या की सारे न्यूज़ पेपर में सिर्फ एक ही खबर सानिया सानिया..... उसको अपनी जिन्दगी जीने दो और जो जरूरी काम है वो भी तो करो...
Tuesday, March 30, 2010
ऑनर किलिंग - दुश्मन प्रेम के .
सदियों से ये जमाना प्रेम का दुश्मन रहा है। और आज भी है। इतिहास गवाह है इस बात की कि पृथ्वी राज चौहान को भी मोह्हबत आसानी से नहीं मिली।
जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ अभी कुछ दिन पहले प्रकाशित हुए लेख की। मनोज और बबली, इन दोनों ने घर से भाग कर शादी कर ली थी। और अदालत में ये बयां भी दिया की शादी अपनी मर्ज़ी से की है। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया की इन दोनों को सुरक्षा मुहैया करायी जाये। फिर भी हम उनके जान नहीं बचा पाए। धिक्कार है ऐसे पुलिस और ऐसे समाज पर। जिसमे प्यार की कीमत जान से चुकानी पड़ती है।
जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ अभी कुछ दिन पहले प्रकाशित हुए लेख की। मनोज और बबली, इन दोनों ने घर से भाग कर शादी कर ली थी। और अदालत में ये बयां भी दिया की शादी अपनी मर्ज़ी से की है। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया की इन दोनों को सुरक्षा मुहैया करायी जाये। फिर भी हम उनके जान नहीं बचा पाए। धिक्कार है ऐसे पुलिस और ऐसे समाज पर। जिसमे प्यार की कीमत जान से चुकानी पड़ती है।
Saturday, March 27, 2010
अध्यापक का गुस्सा - जायज या नाजायज?
आजकल ये बहुत आम से बात हो गयी है की आपको न्यूज़ पेपर में पढने को मिल जाये की अभिभावक ने स्कूल के अध्यापक के खिलाफ केस कर दिया..... स्कूल और अध्यापक को माफ़ी मंगनी पड़ी... या फिर कुछ ऐसा की स्कूल प्रबंधन ने आश्वाशन दिया की अगर अध्यापक दोषी है तो कार्यवाही होगी.
जहाँ पर सचमुच में मर्यादा का उलंघन हुआ है वहां पर ये सब ठीक है। लेकिन अगर अध्यापक ने बच्चे को मारा क्यों की उसने गृह कार्य नहीं किया या बच्चा क्लास में बदमाशी कर रहा था तब अध्यापक को छूट होनी चाहिए। मेरा मतलब ये नहीं है की बिलकुल हैवानो की तरह मारा जाये लेकिन थोडा भय तो होना चाहिए.......
जहाँ पर सचमुच में मर्यादा का उलंघन हुआ है वहां पर ये सब ठीक है। लेकिन अगर अध्यापक ने बच्चे को मारा क्यों की उसने गृह कार्य नहीं किया या बच्चा क्लास में बदमाशी कर रहा था तब अध्यापक को छूट होनी चाहिए। मेरा मतलब ये नहीं है की बिलकुल हैवानो की तरह मारा जाये लेकिन थोडा भय तो होना चाहिए.......
Sunday, March 21, 2010
आरक्षण - विभाजित करो और राज्य करो ....
आरक्षण - एक ऐसा ज्वलनशील मुद्दा है कि किसी की हिम्मत ही नहीं की कोई कुछ बोले। हमारे माननीय नेता जी तो सिर्फ अपना मतलब देख रहे हैं की लोगो को विभाजित करो जात के नाम पर, धर्मं के नाम पर, और कुछ ना मिले तो आरक्षण के नाम पर।
आम जनता भी अपने से ऊपर उठ कर नहीं सोंच रही है। सभी यही सोंच रहे हैं की चलो अच्छा है हो जाये तो हमको भी नौकरी मिल जाएगी। ये अपना स्वार्थ ही हमारे देश को खोखला कर रहा है। जरूरत है अपने से ऊपर उठकर सोचने की।
क्या हम हर किसी को शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकते। बंगलादेश या फिर chilli या और किसी पड़ोशी देश में कोई मुसीबत हो तो हमारी सरकार कारोड़ो रुपये दे देती है। मगर अपने देश के बच्चो के लिए शिक्षा में आरक्षण। ऐसा क्यों। कभी सोचा है आपने।
सबको समान अधिकार क्यों नहीं है।
आम जनता भी अपने से ऊपर उठ कर नहीं सोंच रही है। सभी यही सोंच रहे हैं की चलो अच्छा है हो जाये तो हमको भी नौकरी मिल जाएगी। ये अपना स्वार्थ ही हमारे देश को खोखला कर रहा है। जरूरत है अपने से ऊपर उठकर सोचने की।
क्या हम हर किसी को शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकते। बंगलादेश या फिर chilli या और किसी पड़ोशी देश में कोई मुसीबत हो तो हमारी सरकार कारोड़ो रुपये दे देती है। मगर अपने देश के बच्चो के लिए शिक्षा में आरक्षण। ऐसा क्यों। कभी सोचा है आपने।
सबको समान अधिकार क्यों नहीं है।
रायबरेली में सांप्रदायिक संघर्ष
पहले बरेली और अब रायबरेली । साजिश कामयाब हो चुकी है, और किसी को कानो कान खबर नहीं है। या ये कहिये की किसी के पास समय नहीं है। जब तक वो आग आपके अपने शहर में न आ जाये। सावधान अगला निशाना उत्तर प्रदेश का ही कोई एक और शहर होने वाला है। देखे अपनी ख़ुफ़िया तंत्र क्या कर पाती है। अनुरोध है लोगो से की अगर किसी भी तरह की कोई संदिग्ध हरकत देखे तो तुरंत पुलिस को सूचित करे ।
आम जनता के जागरूक होने से उत्तर प्रदेश को आग में जलने से बचाया जा सकता है।
मेरे देश प्रेमियो आपस में प्रेम करो देश प्रेमियो ।
आम जनता के जागरूक होने से उत्तर प्रदेश को आग में जलने से बचाया जा सकता है।
मेरे देश प्रेमियो आपस में प्रेम करो देश प्रेमियो ।
Saturday, March 13, 2010
मलाल ही रहा गया और नानी चली गयी.
आज एक महीना हो गया नानी को गुजरे हुए। लेकिन लगता ही नहीं की ऐसा कुछ हुआ है। उनसे इतनी दूर रहता था, शायद इसीलिए ये एहसास नहीं होता। हाँ इतना ज़रूर लगता है की अब किसको फ़ोन करू। कौन कहेगा की शादी कर लो। और कौन ज्ञान की बाते कहेगा।
मेरी नानी पड़ी लिखी नहीं थी। लेकिन मैंने उनसे जायदा पड़ा लिखा और किसी को नहीं देखा। मजाल क्या की कोई भूका घर से लौट जाये। अपने खाने में से भी बचा के रख लेना की कोई आयेगा तो खा लेगा ऐसा त्याग मैंने नहीं देखा। आखिरी सांस तक सिर्फ दूसरो की चिंता।
अभी नवम्बर में ही तो मिला था उनसे। तब उन्होंने ॐ आनंद मय ॐ शांति मय का मंत्र दिया मुझे। और बताया इसे उनके बाबा ने कहा था की कभी मत भूलना। तब इन सब बातो को सुनकर थोडा अजीब लगा की नानी आज ये क्यों बता रही है। और आज लगता है की शाएद ये उनकी दूरदर्शिता ही थी की उन्होंने ने काफी पहले ही मुझे बता दिया था।
कभी कभी नानी खूब बाते करती थी और दुनिया भर की ज्ञान की बाते बताती थी। बस अब यही लगता है किससे वो सब बाते करूंगा। मलाल ही रह गया और नानी चली गयी।
मेरी नानी पड़ी लिखी नहीं थी। लेकिन मैंने उनसे जायदा पड़ा लिखा और किसी को नहीं देखा। मजाल क्या की कोई भूका घर से लौट जाये। अपने खाने में से भी बचा के रख लेना की कोई आयेगा तो खा लेगा ऐसा त्याग मैंने नहीं देखा। आखिरी सांस तक सिर्फ दूसरो की चिंता।
अभी नवम्बर में ही तो मिला था उनसे। तब उन्होंने ॐ आनंद मय ॐ शांति मय का मंत्र दिया मुझे। और बताया इसे उनके बाबा ने कहा था की कभी मत भूलना। तब इन सब बातो को सुनकर थोडा अजीब लगा की नानी आज ये क्यों बता रही है। और आज लगता है की शाएद ये उनकी दूरदर्शिता ही थी की उन्होंने ने काफी पहले ही मुझे बता दिया था।
कभी कभी नानी खूब बाते करती थी और दुनिया भर की ज्ञान की बाते बताती थी। बस अब यही लगता है किससे वो सब बाते करूंगा। मलाल ही रह गया और नानी चली गयी।
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