आरक्षण - एक ऐसा ज्वलनशील मुद्दा है कि किसी की हिम्मत ही नहीं की कोई कुछ बोले। हमारे माननीय नेता जी तो सिर्फ अपना मतलब देख रहे हैं की लोगो को विभाजित करो जात के नाम पर, धर्मं के नाम पर, और कुछ ना मिले तो आरक्षण के नाम पर।
आम जनता भी अपने से ऊपर उठ कर नहीं सोंच रही है। सभी यही सोंच रहे हैं की चलो अच्छा है हो जाये तो हमको भी नौकरी मिल जाएगी। ये अपना स्वार्थ ही हमारे देश को खोखला कर रहा है। जरूरत है अपने से ऊपर उठकर सोचने की।
क्या हम हर किसी को शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकते। बंगलादेश या फिर chilli या और किसी पड़ोशी देश में कोई मुसीबत हो तो हमारी सरकार कारोड़ो रुपये दे देती है। मगर अपने देश के बच्चो के लिए शिक्षा में आरक्षण। ऐसा क्यों। कभी सोचा है आपने।
सबको समान अधिकार क्यों नहीं है।
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