Friday, October 3, 2008

पाटिल जी - सोच के बोलें.

किसी ने सच ही कहा है की जिनके घर कांच के हो वो पत्थरो से नही खेला करते!!
पाटिल जी से दिल्ली तो संभल नही रही है। और रोना चालू है की उडीसा में चर्च को जलाया जा रहा है हम दोषियों को सजा देंगे। अरे भाई जिनको जेल में बंद करके रक्खा है इतने दिनों से उनको कब सजा दोगे।
लगता है माननीय गृह मंत्री सिर्फ़ अपने गृह के अन्दर रहते हैं। इनको भी अवकाश मुक्त हों जाना चाहिए।

2 comments:

Unknown said...

जनता ने तो पाटिल को चुनाव में ही रिजेक्ट कर दिया था. पर कांग्रेस की मालिक ने ख़ुद के बफादार इस रिजेक्टेड राजनीतिबाज को देश पर लाद दिया. इस देश की जनता का इस से बड़ा अपमान दूसरा नहीं हो सकता.

परमजीत सिहँ बाली said...

सही लिखा है।