Saturday, October 18, 2008

माया ने रेल फैक्टरी की जमीन लौटाई.

माया की माया अपरम पार। कभी दलितों की मसीहा तो कभी किसानो की रक्षक। मगर सारे काम देश की प्रगति के खिलाफ। कभी तो आंबेडकर पार्क बनाने की धुन तो कभी आंबेडकर मूर्ति लगवाने की। और खर्चा करोड़ो में।
अच्छी बात है की आप देश का विकास करना चाहती है, मगर कम से कम जो शहर नरक बनते जा रहें हैं वहां पर भी थोड़ा ध्यान दे। मूर्ति और पार्क बनवाने की जगह स्कूल और विद्यालय खोले।
दलितों की मसीहा बने, आप मगर लोगो को आपस में लड़वाए तो ना। किसानो की रक्षक बने, लेकिन देश की प्रगति के खिलाफ जाकर नही। ऐसे समय में दिमाग से काम ले और ऐसा रास्ता निकले जिससे गरीब किसान को नुक्सान न हो, लेकिन देश भी प्रगति करे।

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