हम गंगा मैया में मूर्तियों का विसर्जन कर उसमें घातक रसायन घोल रहे हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस से भी मोक्षदायिनी 'जैविकता' पर आंच आ जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे हमारी आस्था भी बनी रहे और नदी की शुचिता भी?
मेरे ख्याल से हम लोगो को मूर्तियाँ लेते समय ये सुनिश्चित करना चाहिए की वो सिर्फ़ मिटटी से ही बनी हो। या फ़िर स्पेशल आर्डर दे कर बनवायें। ऐसा करने से नदी भी साफ़ रहेगी और हमारी आस्था भी बनी रहेगी।
जरूरत है हम लोगो को जागरूक होने की।
Sunday, October 12, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment